सामाजिक बोध को लेखनीबद्ध करने का एक प्रकल्प है पत्रकारिता। इसके अन्तर्गत विभिन्न घटनाओं, सन्दर्भों का रचनाबद्ध करने की चेष्टा होती है। पत्रकारिता विभिन्न क्षेत्रों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य कर रही है इसमें विभिन्न विसंगतियों को दूर कर समाजोत्थान और सर्वांगीण विकास के अवसर ढूंढने का प्रयास होता है। पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से हम जीवन और जगत में घट रही घटनाओं से अवगत होते. हैं। स्थानीय ही नहीं प्रादेशिक, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के घटनाक्रमों को जानने में सफल होते हैं।
पत्रकारिता एक उद्यम या व्यवसाय भी है जिसमें पूंजी निवेश सामान्यतः उद्योगपति स्वामी या ट्रस्ट स्वरूप निवेशकों के समूह करते हैं। इस द्वारा सम्पादकीय विभाग, वाणिज्य विभाग, विक्रय विभाग, विज्ञापन विभाग, मुद्रण विभाग, वितरण विभाग, प्रशासनिक विभाग आदि से पूरी समाचार पत्र व्यवस्था की जाती है।
संपादकीय विभाग क्या है ?
संपादकीय विभाग (sampadkiya vibhag) एक महत्त्वपूर्ण विभाग है। इसका मुखिया प्रधान सम्पादक होता है। उसकी सहायता करने के लिए संयुक्त सम्पादक, वरिष्ठ उपसम्पादक, उपसम्पादक समूह होता है। यही वह टीम है जो समाचार पत्र में सम्पादन कार्य सम्पन्न कर पत्र को उत्कृष्ट बनाने का प्रयास करती है।
मुख्यतः यह विभाग विभिन्न स्थानों से समाचार समितियों, संवाददाताओं आदि से समाचार एकत्र करता है। उनमें महत्त्वानुरूप लीडस निर्धारित करता है उनका परिष्कार करता है। विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त समाचारों के जंगल में से अपने काम के समाचार चयनित करता है। समाचारों को पृष्ठवार बांटता है कि मुख्यपृष्ठ पर कौन से समाचार आयेंगे तथा अन्य पृष्ठों पर कौन से समाचार होंगे।
संपादकीय का अर्थ क्या होता है? (function of editorial department)
यही विभाग समाचारों के शीर्षक, आमुख, बाडी आदि का कटाव-घटाव कर उन्हें पठनीय बना देता है। मेकअप के अन्तर्गत केवल भाषागत सौन्दर्य नहीं आता अपितु किसी शीर्षक को कितनी कलात्मकता प्रदान की जा सकती है इसका निर्धारण होता है। इसके अतिरिक्त चित्रों और कार्टून आदि का स्थान निर्धारण भी किया जाता है।
समाचार पत्र उसके प्रधान सम्पादक के व्यक्तित्व की झलक या प्रतिबिम्ब माना जाता है। यही कारण है कि हिन्दी पत्रों के प्रधान सम्पादक विशिष्ट साहित्यमनीषी हुए हैं। सम्पादक समाचारों पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करता रहता है। वास्तव में पत्र समूह पूंजीपतियों द्वारा परिचालित है और हर समूह के अपने पूर्वाग्रह और अवधारणाएं हैं उन्हीं के अनुरूप समाचार को स्वरूप बनाया जाता है।
संपादकीय विभाग की संरचना और संपादकीय से क्या अभिप्राय है
समाचारों को प्रस्तुती दिवेक से परिपूर्ण कर प्रकाशित करने के साथ-साथ सम्पादकीय लेखन भी सम्पादकीय विभाग का अहम् कार्य है। कहा जाता है समाचार-पत्र सम्पादक के कमरे में विश्व भर की बातें होती हैं। यह सत्य ही है. क्योंकि पत्र में जो कुछ छपता है उसका दायित्व सम्पादक पर ही ठहरता है। सम्पादकीय एक विचारात्मक, भावनात्मक रचना है जिसे सम्पादकीय विभाग की वाणी या उद्गार कह देते हैं, यह तो आवश्यक नहीं कि प्रधान सम्पादक ही अपनी लेखनी से सम्पादकीय लिखे।
अतः सम्पादकीय विभाग वे अन्य सदस्यों संयुक्त सम्पादक, सहायक सम्पादक, वरिष्ठ उपसम्पादक, उपसम्पादकों को भी यह दायित्व सौंपा जा सकता है। हर रोज सायंकालीन बैठक में सम्पादकीय विषय, सम्पादकीय लेखक का निर्धारण होता है तभी विषयानुरूप तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक तथा अन्य शैलियों के सम्पादकीय पढ़ने को मिलते हैं।
संक्षेप में, कहा जा सकता है कि समाचार-पत्र के प्रकाशन को सार्थक बनाने में यों तो सभी विभागों का अपना-अपना योगदान है, परन्तु पत्र की वैचारिकता और प्रकाशन सम्बन्धी विन्यास आदि की समूची व्यवस्था तो सम्पादकीय विभाग ही करता है। यदि सम्पादकीय विभाग न हो तो हम एक पत्र की परिकल्पना भी नहीं कर सकते।
संवाददाता (समाचारदाता)
देश-देशान्तर के समाचारों का संग्रहण पहला कार्य है विभिन्न स्रोतों से समाचार इक्ट्ठे किये जाते हैं फिर उनका सम्पादन कार्य होता है। पत्र-पत्रिकाओं में समाचार प्रदान करने का कार्य न्यूज एजेन्सियां (समाचार समितिया) विभिन्न पत्रों से अनुबंध करके समाचार ही नहीं छायाचित्र भी जुटाती हैं।
प्रत्येक पत्र-पत्रिका अपनी आवश्यकता के अनुरूप संवाददाता या रिपोर्टर की नियुक्त कर समाचार संग्रहण कराते हैं। अधिकांश पत्रकार महर्षि नारद की आदि संवाददाता मानते हैं, जिन्होंने देवलोक और मृत्युलोक में संवाद प्रेषण का कार्य प्रारम्भ किया।
आधुनिक काल में स्थानीय प्रादेशिक यहां तक कि विदेशों में भी रिपोर्टरों की सेवाएं लेकर समाचार संकलन कार्य कराया जाता है।
अच्छे संवाददाता के गुण (अर्हताएं)
संवाददाता किसी भी पत्र की आंख, कान, हाथ हैं। संवाददाता के पास समाचार स्वयं चलकर नहीं आते। किसी स्थान से किसी व्यक्ति द्वारा टेलीफोन पर दी गई सूचना समाचार नहीं है। संवाददाता को समाचारों की तह में जाना पड़ता है। वह जनसम्पर्क साध कर अपना कार्य सम्पन्न कर सकता है।
शैक्षणिक योग्यता, भाषायी ज्ञान और पत्रकारिता प्रशिक्षण के अतिरिक्त निम्नलिखित योग्यताएं एक संवाददाता में होनी बहुत जरूरी हैं।
- संवाददाता की दृष्टि पैनी होनी चाहिए। एक पलक झपकते ही उसे सारी विषय वस्तुस्थिति का आभास करना होता है। किसी भी घटनास्थल पर उसे स्वयं जा कर सूचनाएं एकत्र करनी पड़ती हैं।
- उसकी श्रवणशक्ति बेमिसाल होनी चाहिए तभी वह भीड़ में भी अपने काम की बात समझ पाता है।
- उसे विभिन्न मामलों में गोपनीयता रखने की कला आनी चाहिए।
- संवाददाता को धैर्यशाली बनाकर सहिष्णुता का परिचय देना पड़ता है। छोटी-छोटी बात पर क्रोध में असंयमित हो जाना संवाददाता का गुण नहीं उसे समाज में भिन्न-भिन्न मनोवृत्तियों के लोगों से सरोकार रखना पड़ता है।
- समाचारदाता की बोलने की कला ऐसी होती है कि वह दूसरों से सूचनाएं प्राप्त करने में सक्षम होती हैं। प्रभावशाली वाणी ही वह शस्त्र है जिससे किसी विषय स्थिति की आंतरिकता जानी जा सकती है।
- एक कुशल संवाददाता को अनुवाद की कला आनी चाहिए, क्योंकि उसे विभिन्न स्थानों से अन्य भाषा में भी सामग्री, दस्तावेज मिलते हैं, अतः उसे उनका अनुवाद भी करना पड़ता है।
- अध्येता वृत्ति संवाददाता की कुशाग्रता बढ़ाने का साधन है। संवाददाता को हजारों लाखों शब्दों के बीच सार्थक सटीक न्यूज स्टोरी लिखनी पड़ती है, अतः उसे शब्दकोष, विश्वकोश, संदर्भकोश आदि का निरंतर अध्ययन करना पड़ता है। तभी वह किसी विकसनशील समाचार (Spreed News) में अतीत को वर्तमान की स्थितियों से जोड़कर देख पाता है। एडविन ए. लाहिये (वाशिंगटन ब्यूरो ऑफ नाइट पेपर्स) की मान्यता है कि मुझे गर्व है कि मैं एक समाचारदाता हूं। मुझे अपने कार्य में पूरा संतोष मिलता है। मैं किसी देश का राष्ट्रपति के क्रिया-कलापों के समाचार एकत्र करूंगा। मैं धन का कोष नहीं शब्दों का कोष तलाशता हूं। कहा जा सकता संवाददाता को जिज्ञासु होना चाहिए, अपने कार्य के प्रति लग्न व पूरी निष्ठा होनी चाहिए।
- उसे आशु लेखन का ज्ञान होना आवश्यक है, क्योंकि उसे बड़ी तेजी में संवाद लिखना पड़ता है।
- उसे भाषा का सम्यक ज्ञान होना चाहिए।
- उसे नयी घटनाओं के पुरानी घटनाओं से जुड़े संदर्भों को भी समझना चाहिए।
उपर्युक्त सभी गुण एक संवाददाता की सफलता के सोपान हैं। इन योग्यताओं से मण्डित होकर उसका व्यक्तित्व निर्माण हो जाता है। निर्भीकता, सजगता, समाचारों की प्रकृति व प्रवृत्ति से परिचय सभी ऐसी विशेषताएं हैं जो एक संवाददाता में होनी चाहिए। आंख, कान और मस्तिष्क को खुला रख समय सापेक्ष बोध, युग बोध या यथार्थ बोध करना ही पत्रकारिता है। यह कार्य स्फूर्ति व उमंग से परिपूर्ण व्यक्तित्व के लोगों का है जो भयभीत रहते हैं वह पत्रकारिता कर नहीं सकते। खोजी पत्रकारिता में अनेक चुनौतियां रहती हैं।
समाचारों के संकलन करने में समाचारदाता या संवाददाता का भगीरथ योगदान होता है। घटनाएं घटित हो जाती है, आम आदमी केवल घटना की ऊपरी सतह को देख पाता है पर संवाददाता की जिज्ञासावृत्ति उस घटना में कब, क्यों, कहां, क्या, कौन, कैसे आदि द्वारा अन्तः साक्ष्य की जानकारी दिलाती है।
संवाददाताओं की श्रेणियां
कार्यालय संवाददाता
प्रत्येक समाचार पत्र कार्यालय में नियमित रूप से नियुक्त संवाददाता होते हैं, इनका कार्य कार्यालय में प्राप्त समाचारों का संकलन करना है। समाचार-पत्र कार्यालयों में एक समाचार कक्ष (न्यूज ब्यूरो होता है) इसकी व्यवस्था समाचार सम्पादक के अधीन होती है स्थानीय कार्यालय संवाददाता उसी के निर्देशानुरूप न्यूजस्टोरी तैयार करते हैं।
विशेष संवाददाता
ये संवाददाता समाचारों का संकलन करने के साथ-साथ उनकी मीमांसा या विवेचना भी करते हैं। विशेष संवाददाता का कार्य विशिष्टतापूर्ण है, क्योंकि इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रुचि के अनुरूप कार्य करने का आदेश दिया जाता है। विशेष संवाददाता द्वारा प्रेषित कोई भी न्यूज आइटम उनके नामोल्लेख के साथ छपता है। सामान्यतः राष्ट्रीय महत्त्व के
समाचारों का संकलन, विश्लेषण, विवेचन विशेष संवाददाता ही करते हैं। संसदीय मामलों तथा राजनीतिक गतिविधियों के समाचारों का संकलन विश्लेषण उन्हीं का दायित्व है। विशेष संवाददाता किसी पत्र समूह द्वारा प्रादेशिक या केन्द्रीय राजधानी में अथवा विदेश में कार्य हेतु नियुक्त किये जाते हैं।
मुख्य कार्यालय संवाददाता
चीफ रिपोर्टर या मुख्य कार्यालय संवाददाता समाचार-पत्र कार्यालय में अन्य कार्यालय संवाददाताओं के कामकाज की देखदेख में करता है। वह समाचारों के संकलन और विश्लेषण में उनकी सहायता भी करता है।
उप मुख्य कार्यालय संवाददाता
मुख्य कार्यालय संवाददाता के दैनन्दिन कार्य में हाथ बंटाने के लिए उप मुख्य कार्यालय संवाददाता जिसे हम वरिष्ठ कार्यालय संवाददाता भी कह सकते हैं, समाचारों का संकलन करता है। इस पद पर कार्यरत संवाददाता को पांच वर्ष का कार्य अनुभव प्राप्त होता है।
संवाददाता
रिपोर्टर या संवाददाता वास्तव में वह खबरची है जो अपने स्थान की हर समय की तत्काल सूचना अपने पत्र कार्यालय में प्रेषित करता है। वह दूरभाष, फैक्स, टेलीफोन, कंप्यूटर आदि से सूचनाएं अपने कार्यालय में भेजता है।
विदेश संवाददाता
ये प्रायः अन्य राष्ट्र में रहकर अपने पत्र के लिए कार्य करते हैं
मुफस्सिल (नगरेतर) संवाददाता
दूर-दूर स्थित छोटे-छोटे स्थानों से समाचार एकत्रकर पत्र कार्यालय में भेजने का कार्य मुफस्सिल संवाददाता करते हैं। ऐसे संवाददाता प्रायः अंशकालिक होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों, कस्बों में कार्यरत ये संवाददाता फुटकर समाचारों का संकलन करते हैं। सामान्यतः दुकानदार, वकील या अन्य व्यवसायों को करते हुए पत्रकार की यह भूमिका उस समय प्रश्नों के घेरे में घिर जाती है जब ऐसे संवाददाता पद का दुरूपयोग करते हैं।
समाचारदाताओं का एक श्रेणी विभाजन उपर्युक्त है फिर भी अपनी ग्राहक प्रसार संख्या और कार्यभार को ध्यान में रखकर अन्य प्रकार के पद निर्मित कर लिये जाते हैं, जैसे- मुख्य कार्यालय संवाददाता प्रधान संवाददाता, वरिष्ठ संवाददाता आदि। बड़े पत्र समूह अपनी अर्थव्यवस्था के अनुरूप संवाददाताओं की संख्या में अभिवृद्धि कर लेते हैं जबकि लघु पत्रों में तो यह कार्य एक ही व्यक्ति सम्पन्न कर लेता है वही पत्र का स्वामी, प्रधान सम्पादक, संवाददाता आदि सब कुछ होता है।
संवाददाता की कार्यपद्धति
समाचारदाता या संवाददाता के लिए Correspondent, Reporter पर्याय शब्दों का प्रयोग भी किया जाता है। काफी समय पूर्व समाचारदाता के रूप में वाकया नवीस राजाज्ञा, संदेश आदि का प्रसार करते थे। संवाददाता का कार्य अत्यंत जोखिम भरा है। प्रसिद्ध पत्रकार एल्मर डेविस के अनुसार, ‘उसका काम तो तलवार की धार पर चलने के समान है।
उसे निष्पक्षता से काम करना चाहिए, पूर्वाग्रहों को तिलांजलि देकर वास्तविकता उद्घाटित करनी चाहिए। उसका सम्यक् ज्ञान उसे गतिशील, सर्वज्ञान सम्पन्न बनाता है। उसे अपने कार्यक्षेत्र का पूरा ज्ञान होना जरूरी है। समाचार के विभिन्न स्रोत हैं कुछ समाज में प्रत्यक्ष दिखाई पड़ते हैं तो कुछ परोक्ष रूप में हैं। उसे हर स्रोत से सूचना एकत्र करने की कला आनी चाहिए।
विकासात्मक समाचारों में तो राजकीय विभाग, संस्था प्रैस नोट या भेंटवार्ता आदि में सूचना मिल जाती है, परन्तु राजनीतिक, सामाजिक अपराध जगत के समाचार एकत्र करना एक कला है। घटना की सूचना मिलते ही सक्रिय हो जाना, प्रमाणों का एकत्रीकरण, सम्पर्क सूत्रों की गोपनीयता रखना, उसका महद् कार्य है। वाकपटु होकर भी अन्य की बात को हृदयंगम करना और सारतत्त्व की बात को समाचारत्व प्रदान करना उसी का काम है।
संवाददाता का कार्य चुनौतीपूर्ण है। भीरू, डरपोक लोगों को ऐसे व्यवसाय में आने का कोई अधिकार ही नहीं है। संवाददाता प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न तैयार करने में दक्ष होता है। वह अपनी कौतूहल वृत्ति से अधिक से अधिक जानना चाहता है।
समाचारदाता या रिपोर्टर को समाचार का समाचारत्व ज्ञान प्राप्त करना होता है उसे पलक झपकते ही घटना का समाचार मूल्य समझ लेना चाहिए।
उसे पता होना चाहिए, समाचारों के स्रोत कहां-कहां विद्यमान हैं। अर्थात् कौन-सा समाचार कहां से मिल सकता है। एक अच्छा संवाददाता वही है निष्पक्ष, तटस्थ रहता है, परन्तु सहृदयता या संवेदनशीलता का परित्याग नहीं करता। लोकहित में उसकी आस्था रहती है। उसका सम्पर्क कितने ही लोगों से होता है। विभिन्न सम्प्रदायों, धर्मों, वर्गों के लोगों से मिलकर वह निस्संग रहता है पर वह मानवता का पक्ष सर्वोपरि रखता है।
यदि ध्यान से देखा जाए संवाददाता का कार्य समाचार संकलन और विवरण ही तो है। वह घटनास्थल पर जाता है। समाचार सूंघना उसका कर्म कौशल है। उसकी सूझबूझ, प्रखर प्रतिभा इसी में है। कि घटनास्थल पर वह मूक दर्शक नहीं रहता उसकी आंखें, कान, जिह्वा निरन्तर अपना कार्य कर रही होती हैं। संवाददाता को समाचारों की प्रकृति भी समझनी होती है।
न्यायालय से जुड़े समाचार, विकासात्मक समाचार, सामाजिक संदर्भों के समाचार सभी की प्रकृति अलग-अलग है। लोग ही समाचारों के स्रोत हैं उन्हीं के बीच विश्वसनीय सूत्रों से तथ्यों को जानने की चेष्टा करनी होती है। समाचार एकत्र करने के लिए कभी उसे प्रेस विज्ञप्ति तो कभी संवाददाता सम्मेलन या व्यक्तिगत सम्पर्क से भी समाचार प्राप्त करने होते हैं। संवाददाता का अपना कार्य अविलम्ब करना पड़ता है। सर्वोत्कृष्ट स्रोत की तलाश करना बहुत जरूरी है। उसे पता लगाना पड़ता क्या हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ, कब और कहां हुआ और कौन इससे प्रभावित हुआ और इसमें मानवीय हित कहां विद्यमान है?
अन्त में कहा जा सकता यदि समाचार-पत्र एक रथ है तो समाचार अश्व है और संवाददाता कुशल निपुण सारथी संवाददाता ही अपने कर्मकौशल से नवीन सूचनाओं का सन्धान कर समाचार कथा लिखते हैं और अपने पत्र कार्यालय में भेजते हैं।
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1 thought on “संपादकीय विभाग क्या है और इसकी स्थापना कब हुई थी | What is the editorial department and when was it Established?”
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